Top 10 Moral Stories | 10 सबसे लोकप्रिय नैतिक कहानियां

नमस्कार दोस्तों! जैसा कि हम सभी जानते हैं कि सीख हमें कहीं से भी मिल सकती है, मगर कहानियों के द्वारा मिली हुई सीख हमेशा याद रहती है. नैतिक कहानियों का प्रभाव बच्चों के दिमाग पर सबसे ज्यादा होता है इसलिए हम आज के इस लेख में बच्चों के लिए दस नैतिक कहानियों का खजाना लेकर आए हैं.

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1)- लालची कुत्ते की कहानी | Lalachi Kutta

एक गांव में एक लालची कुत्ता रहता था। वह गांव में घूम-घूमकर खाने की तलाश करता था। वह इतना लालची था कि उसे जितना भी खाने के लिए मिलता था, उसे कम ही लगता था।

गांव के दूसरे कुत्तों के साथ पहले उसकी अच्छी दोस्ती थी, लेकिन उसकी इस आदत की वजह से सभी उससे दूर रहने लगे, लेकिन उसे कोई फर्क नहीं पड़ा, उसे सिर्फ अपने भाेजन से मतलब था। कोई न कोई आते जाते उसे खाने के लिए कुछ न कुछ दे ही देता था। उसे जो खाने को मिलता उसे वो अकेले ही चट कर जाता।

एक दिन उसे कहीं से एक हड्डी मिल गई। हड्डी को देखकर उसकी खुशी का ठिकाना न रहा। उसने सोचा कि इसका आनंद तो अकेले ही लेना चाहिए। यह सोचकर वो गांव से जंगल की ओर जाने लगा।

रास्ते में वह पुल के ऊपर से नदी पार कर रहा था, तभी उसकी नजर नीचे नदी के ठहरे हुए पानी पर पड़ी। उस समय उसकी आंखों में सिर्फ हड्डी का लालच था। उसे यह भी पता नहीं चला कि नदी के पानी में उसका ही चेहरा नजर आ रहा है।

उसे लगा की नीचे भी कोई कुत्ता है, जिसके पास एक और हड्डी है। उसने सोचा कि क्यों न उसकी भी हड्डी छीन लूं, तो मेरे पास दो हड्डियां हो जाएंगी। फिर मैं एक साथ दो हड्डियों के मजे से खा सकूंगा। ऐसा सोचकर वह जैसे ही पानी में कूदा, उसके मुंह से हड्डी सीधे नदी में जा गिरी।

मुंह से छुटकर हड्डी के पानी में गिरते ही कुत्ते को होश आया और उसे अपने किए पर पछतावा हुआ।

कहानी से सीख-

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी लालच “लालच बुरी बला है” नहीं करना चाहिए। लालच करने से हमारा ही नुकसान होता है।


2)- गधे की परछाई | Short moral stories in Hindi

गर्मियों के दिन थे. तेज धुप में एक यात्री को एक गॉंव से दूसरे गॉंव जाना था. दोनों गॉंवों के बीच एक ऐसा मैदान था जहा कोई नही रहता था, यात्री ने किराए पर एक गधा ले लिया। लेकिन वह गधा अलसी था। वह चलते चलते बार बार रुक जाता था इसलिए गधे का मालिक उसके पीछे-पीछे चल रहा था। जब गधा रुकता तो वह उसे डंडा मरता फिर गधा फिर चलने लग जाता था। चलते-चलते दोपहर हो गई, आराम करने के लिये वो रस्ते में रुक गए वहा आसपास ऐसा कोई पेड़ नही था जिसकी छाया में वे बैठ सके। इसलिए यात्री गधे की परछाई में बैठ गया।

गर्मी के कारण गधे का मालिक बोहोत थक गया था, वह भी यात्री के साथ गधे की परछाई में बैठना चाहता था। इसलिए उसने यात्री से कहा, “देखो भाई यह गधा मेरा है। इसलिए इस गधे की परछाई भी मेरी है। तुमने बस गधे को कराये पर लिया है उसकी परछाई पर हमारा कोई सौदा नही हुआ था, इसलिए मुझे मेरे गधे की परछाई में बैठने दो।”

गधे के मालिक की यह बात सुनकर यात्री ने कहा “मैंने पुरे दिन के लिए गधे को कराए पर लिया है। इसलिए पुरे दिन गधे की परछाई का उपयोग करने का भी अधिकार मेरा ही है। तुम गधे से उसकी परछाई को अलग नहीं कर सकते दोनों आपस में झगड़ने लगे फिर उनमें मारपीट शुरू हो गई। उन दोनों को गधो की तरह लड़ता देख वह गधा वहा से भाग गया, वह अपने साथ अपनी परछाई भी ले गया।

कहानी से सीख-

दोस्तों इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें छोटी से छोटी बातों पर लड़ना नही चाहिए, क्योंकि छोटी-छोटी बातों पर लड़ना से हमेशा अपना और दूसरों का नुकसान ही होता है.


3)- हाथी और रस्सी | Hathi or Rassi ki kahani

एक दिन एक आदमी हाथियों के शिविर “हाथियों के रहने का स्थान” के पास से गुजर रहा था. नजदीक से देखने पर वह हैरान हो गया कि इन हाथियों को न तो पिंजरों में रखा गया था और न हीं किन्हीं जंजीरों से बांधा गया था.

हाथी इसलिए नहीं भाग पा रहे थे क्योंकि उनके पाँव एक पतली रस्सी के सहारे एक साधारण खंभे से बंधे थे. उस आदमी के मन में यह सवाल उठा कि हाथी इस रस्सी को तोड़ने का प्रयास क्यों नहीं कर रहे हैं. इसके बारे में उसने प्रशिक्षक ने पूछा |

इस पर प्रशिक्षक ने जवाब दिया – हाथी जब बच्चे होते हैं, हम उस समय इस प्रणाली का उपयोग करते हैं मगर उस उम्र में रस्सी इतनी मजबूत होती है कि वो उसे तोड़ नहीं पाते हैं.

जैसे जैसे वो बड़े होते हैं. उन्हें यह विश्वास होने लगता है कि हम कभी इस रस्सी को तोड़ नहीं पाएँगे। यहीं विश्वास उन्हें हमेशा के लिए बंधन से मुक्त नहीं होने देता।

कहानी से सीख –

दोस्तों इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें स्वयं पर भरोसा रखना चाहिए और किसी भी समस्या को हल करने की कोशिश करनी चाहिए।


4)- चींटी की सूझ-बूझ | Story For Moral In Hindi

गर्मियों के दिन थे। लोग गर्मी से बचने के लिए अपने घरों में दुबके बैठे थे। पक्षियों ने घने पेड़ों पर शरण ली हुई थी। टिड्डा भी झाड़ियों के बीच छिपा बैठा था, पर एक चींटी गर्म दोपहरी में भी अपने लिए भोजन इकट्ठा कर रही थी।

टिड्डा चींटी का मजाक उड़ाते हुए बोला- इतनी तेज धूप में भी तुम चैन से बैठने की बजाय खाना इकट्ठा कर रही हो, जैसे कि अकाल पड़ने वाला हो। आराम से किसी ठंडी जगह पर बैठो और मौज-मस्ती करो।

चींटी बोली- मेरे पास मौज-मस्ती करने के लिए बिलकुल भी समय नहीं है। सर्दियाँ आने वाली हैं और मुझे ढेर सारा भोजन इकट्ठा करना है। टिड्डे को जवाब देकर चींटी फिर अपने काम में जुट गई। गर्मियों के बाद कड़ाके की सर्दी पड़ी।

चारों ओर बर्फ ही बर्फ थी। टिड्डे को बहुत जोर की भूख लगी थी, पर उसे कहीं कुछ खाने को नहीं मिल रहा था। अंत में वह चोटी के घर गया और उससे कुछ खाने को मांगा।

चींटी बोली- जब मैं भोजन इकट्ठा कर रही थी तब तुम मेरा मजाक उड़ा रहे थे। अब जाओ यहाँ से, तुम्हें देने को मेरे पास कुछ नहीं है।

कहानी से सीख –

दोस्तों इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें वर्तमान का आनंद लेते हुए भविष्य की चिंता भी करनी चाहिए।


5)- बिल्ली और चूहे | Top 10 Moral Stories in Hindi

एक बिल्ली थी और वो बहुत हीं चालाक थी. उसकी इसी चालाकी और चौकसी को देखकर चूहे भी सावधान हो गए और अब बिल्ली चूहों को नहीं पकड़ नहीं पा रही थी.

एक समय ऐसा आया कि बिल्ली भूख के मारे तड़पने लगी. एक भी चूहा उसके हाथ नहीं आता था क्योंकि वो उसकी आहट सुनते हीं तेज़ी से भागकर अपने बिल में छुप जाते थे.

अपनी भूख मिटाने के लिए बिल्ली ने योजना बनाई। वो एक टेबल पर उल्टी लेट गई. उसने ऐसा इसलिए किया कि सभी चूहों को यह लगे कि वो मर चुकी है.

सभी चूहे बिल्ली को अपने बिल से हीं देख रहे थे. उन्हें पता था कि बिल्ली नाटक कर रही है, इसलिए कोई भी चूहा अपने बिल से बाहर नहीं आया.

मगर फिर भी बिल्ली ने हार नहीं मानी। वो काफी देर तक उसी टेबल पर उल्टी लेटी रही. अब चूहों को लगने लगा कि बिल्ली मर चुकी है. वो जश्न मनाते हुए अपने बिल से निकलने लगे.

चूहे जैसे हीं टेबल के पास पहुँचे। बिल्ली ने उछलकर दो चूहे पकड़ लिए, इस तरह बिल्ली ने अपने पेट को भर लिया मगर इस घटना के बाद चूहे और भी ज़्यादा सतर्क हो गए.

कुछ समय बाद बिल्ली फिर भूख से तड़पने लगी, क्योंकि चूहे अब बिल्कुल भी लापरवाही नहीं बरतना चाहती थे.

इस बार पेट भरने के लिए एक बार फिर बिल्ली को योजना बनाने लगी मगर अब छोटी योजना काम नहीं आने वाली थी. इस बार बिल्ली ने खुद को पूरा आटे से ढक लिया।

चूहे आटा देखकर खाने के लिए आ गए मगर एक बूढ़े चूहे ने उन्हें रोक दिया। उसने ध्यान से आटा देखा, तो उसे उसमें बिल्ली का आकार दिखने लगा.

तभी बूढ़े चूहे ने हल्ला करना शुरू किया। उसने कहा, “सब अपने बिल में चले जाओ, यहाँ आटे में बिल्ली छुपी है.” उस बूढ़े चूहे की बात सुनकर सब चूहे अपने बिल में वापस घुस गए.

जब बहुत देर तक एक भी चूहा बिल्ली के पास नहीं पहुँचा, तब बिल्ली थककर वहाँ से उठ गई. इस तरह बूढ़े चूहे ने अपने अनुभव से सारे चूहों की जान बचा ली.

कहानी से सीख –

दोस्तों इस कहानी से यह सीख मिलती है कि बुद्धि का इस्तेमाल करके धोखे से बचा जा सकता है.


6)- साँप और चूहा | Saanp Aur Chooha

एक बार की बात है एक सपेरे ने एक सांप को पकड़ा और टोकरी में कैद कर दिया, और तभी एक चूहे को भी पकड़ लिए. सपेरा “चूहा मेरे सांप के लिए एक बढ़िया भोजन है”, और सांप की ही टोकरी में डाल दिया। टोकरी के अंदर सांप जैसे ही चूहे को लपकने लगा.

चूहा बोल उठा- अरे सांप भाई मुझे मत मारो। अगर तुम मुझे नहीं मारोगे तो में तुम्हे इस कैद से आज़ाद करा सकता हूँ। सांप हैरान था की ये नन्हा सा चूहा उसे कैसे आज़ाद करा सकता है। जब में इस कैद से निकलने में कामयाब नहीं हो सका तो तुम मेरी क्या मदद कर सकते हो। देखो मुझे बहुत जोर से भूख लगी है, चूहा फिर तो क्या फायदा मुझे खा कर यूँ भी तुम्हारा पेट भरने वाला नहीं।

अगर तुम मुझे बख्श दो तो में तुम्हें आज़ादी दिला सकता हूँ। फिर जितना दिल चाहे जहाँ दिल चाहे तुम भर पेट खाना खा सकते हो।

मोटे मोटे चूहे बढ़िया मेंढक छिपकलियांसब तुम्हे खाने को मिल सकती है। आगे तुम्हारी मर्जी मैंने तो बता दिया। सांप अपने मन में सोचने लगा इसकी बात ठीक ही है इसे भी तो बाद मे में खा ही सकता हूँ ठीक है।

तो बताओ तुम मेरी कैसे मदद करोगे?
अगर तुमारी बात ठीक निकली तो में तुम्हे नहीं खाऊंगा। शायद में तुम्हारे पर बैठ कर एक मंत्र का उचारण करूँगा। बस तुम्हें अपनी आँखें बंद करनी होंगी, बस इतना ही। हाँ जब मंत्र पूरे हो जायेंगे में तुम्हे बुलाऊंगा, परंतु याद रहे तब तक ना तुम आँखें खोलोगे, न ही हिलोगे। जुलोगे समझे ।

ठीक है जैसे तुमने कहा में वैसा ही करने को तैयार हूँ, परंतु बाहर निकल कर मेरी प्रतीक्षा करना। सांप ने अपनी आँखें बंद कर ली, चूहा सांप के सिर पर चढ़ गया। जल्दी जल्दी वह पिटारी को अंदर से कुतरने लगा। वहां पर एक बड़ा सा छेद हो गया। चूहे ने झट से वहां से छलांग लगाई, और रफुचक्कर हो गया।

और थोड़ी देर बाद सांप ने अपनी आँखें खोली। और वह भी छिद्र में से नीचे सरक लिया। आज़ादी का भी अपना मज़ा है। तो पर अभी तो भूख बहुत सता रही है। अरे वो मूर्ख कहां गया? शैतान शायद भाग गया है! जाएगा कहां, अभी ढूंढता हूँ उस नटखट शैतान को, और वे चूहे को इधर उधर तलाशने लगा।

परंतु चूहा तो कहीं खो गया था। कुछ दिनों के बाद सांप को चूहों का एक बिल नज़र आया। वे समझ गया की जरूर चूहा इसी बिल में होगा और जल्दी ही चूहे की मुंडी उसे वहां नज़र आयी ये धोखेबाज़ यहाँ है अब ये मुझसे बच कर कहाँ जायेगा?

अरे ओ चूहे, तुम मुझे धोखा दे कर कहाँ भाग गए थे? अब बाहर आओ न। क्यों सता रहे हो? हम तो पुराने मित्र हैं। मित्र और तुम! क्या कहते हो? कहीं ये मुमकिन है? ये तो हम दोनों जानते हैं की हम मित्रता हो ही नहीं सकती! उस दिन तो तुम भी मज़बूर थे और में भी।

इसी लिए दोस्ती का सारा नाटक हु। आमें तो अपनी जान बचाने के लिए मित्रता का ढोंग कर रहा था। दोस्ती हमेशा बराबर वालों में हो सकती है। कहाँ तुम इतने बलशाली और कहाँ में इतना कमजोर! हम कभी मित्र नहीं हो सकते। जाओ बाबा माफ़ करो!

ऐं ये तो बहुत समझदार है, इसे झांसा देना अब मेरे बस की बात नहीं। अयं मुझे कहीं और अपना भोजन तलाश करना चाहिए।

कहानी से सीख –

दोस्तों इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमेशा दोस्ती अपनी बराबरी वालों के साथ करनी चाहिए


7)- मूर्ख कौआ | The Crow and the Peacock

एक पेड़ पर एक कौआ रहता था। उसे अपने काले पंख जरा भी अच्छे नहीं लगते थे। वह जब मोरों के सुंदर पंख देखता तो उसे अपने आप से नफरत होने लगती। वह सोचता, ‘काश, मैं भी इनकी तरह सुंदर होता।’

एक दिन उसे जंगल में कुछ मोरपंख बिखरे दिखाई दिए। उसने उन पंखों को उठाकर अपने पंखों के ऊपर लगा लिया। फिर वह कौओं के झुंड में पहुँचकर बोला, “तुम लोग कितने गंदे हो। मैं तो तुमसे बात भी नहीं कर सकता।”

और वह वहाँ से उड़कर मोरों के झुंड में जाकर बैठ गया। मोरों ने जब मोर पंख लगाए हुए कौए को देखा तो उसकी हँसी उड़ाते हुए बोले, “इस कौए को देखो! बेचारा मोर बनना चाहता है। इसे सबक सिखाना चाहिए।”

यह कहकर उन्होंने कौए के सारे मोरपंख नोच लिए और उसे वहाँ से भगा दिया। वहाँ से कौआ अपने पुराने मित्रों के पास गया। पर उन्होंने भी उसे वहाँ से यह कहकर भगा दिया, ”जाए, हमें तुम्हारी दोस्ती की जरूरत नहीं है।”

कहानी से सीख –

दोस्तों इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अपनी कमियों को स्वीकार कर अपने गुणों को पहचानो।


8) – डरपोक पत्थर | Top 10 Moral Stories in Hindi

एक समय की बात है. एक कलाकार अपने औजारों को थैले में भरकर आगे बढ़ता है, तभी उसको एक बहुत सुंदर पत्थर मिला। वह सोचता हैं– “क्यों न मैं एक मूर्ति बनाऊँ।”

वह अपने थैले से औजार निकालकर मूर्ति तराशना शुरू कर देता है तभी पत्थर में से आवाज आई – अरे भाई! रहने दो ना, दर्द होता है. ऐसा सुनकर कलाकार अपने औजारों को थैले में रखकर आगे चलने लगा.

अचानक कलाकार को फिर एक और पत्थर मिला। इस बार फिर उसने मूर्ति बनाने की सोची और अपने औजारों को निकाल कर एक भगवान की मूर्ति तराशना शुरू कर देता है तथा वह उस पत्थर से कुछ समय बाद एक सुंदर मूर्ति बना देता है.

फिर वह कलाकार उस कलाकृति को छोड़ कर आगे बढ़ जाता है. चलते–चलते कलाकार एक गाँव पहुँच जाता है. जहाँ पर मंदिर का निर्माण हो रहा था.

कलाकार ने सरपंच से पूछा– यहाँ मंदिर बन रहा है क्या? सरपंच ने उत्तर दिया– मंदिर का निर्माण हो चुका है लेकिन मूर्ति नहीं है. कलाकार ने कहा– सरपंच जी, आप मूर्ति की चिंता ना करें।

मैंने आगे वाले रास्ते में एक मूर्ति का निर्माण किया है. गाँव के कुछ लोग मिलकर मूर्ति (दूसरे वाला पत्थर) तथा उस पत्थर (पहले वाले पत्थर) को लेकर मंदिर में स्थापित कर देते हैं. मूर्ति के सामने लोग सिर झुकाते और मन्नत मांगते जबकि पत्थर के मुँह पर लोग नारियल फोड़ते थे.

एक दिन मूर्ति और पत्थर आपस में बात कर रहे थे. जिस पत्थर पर लोग नारियल फोड़ते थे वह मूर्ति वाले पत्थर से बोला– “ओ पत्थर! तेरी क्या किस्मत है, आज तेरी पूजा और आरती उतारी जा रही है तब मूर्ति वाला पत्थर बोला– “आज तू दर्द सहा होता तो मेरी जगह बैठा होता।

कहानी से सीख–

दोस्तों इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि सफलता के लिए बहुत दर्द सहना पड़ता है, बिना परिश्रम के सफलता नहीं मिलती है.


9)– मेंढक और चूहा | Top 10 Moral Stories in Hindi

एक समय की बात है. एक घने जंगल में एक छोटा-सा जलाशय (तलाब) था, जिसमें एक मेंढक रहता था. उस मेंढक को एक दोस्त की तलाश थी. एक दिन उसी जलाशय के पास के एक चूहा आया.

चूहे ने मेंढक को दुखी देखकर उससे पूछा, दोस्त! क्या बात है? तुम उदास क्यों हो? मेंढक ने चूहे से कहा-मेरा कोई दोस्त नहीं है, जिससे मैं अपनी बातें कह सकूँ, अपना सुख-दुःख उससे बाँट सकूँ।

मेंढक की बातों को सुनकर चूहे ने उछलते हुए जवाब दिया, अरे! आज से तुम मुझे अपना दोस्त समझो, मैं हर समय तुम्हारे साथ रहूँगा। चूहे की बातों को सुनकर मेंढक बहुत खुश हुआ.

दोस्त बनने के बाद दोनों घंटों एक दूसरे से बातें करने लगे. मेंढक जलाशय से निकलकर कभी पेड़ के नीचे चूहे के बिल में चला जाता, तो कभी दोनों जलाशय के बाहर बैठकर बहुत सारी बातें करते।

दोनों के बीच की दोस्ती समय के साथ-साथ काफी गहरी होती चली गई. चूहा और मेंढक अपने मन की बात अक्सर एक दूसरे से साझा करते थे.

एक दिन मेंढक के मन में आया कि मैं तो अक्सर चूहे के बिल में उससे बातें करने जाता हूँ मगर चूहा मेरे जलाशय में कभी नहीं आता है. ये सोचकर मेंढक ने चूहे को पानी में लाने की एक तरकीब सोची।

चतुर मेंढक ने चूहे से कहा कि दोस्त! हमारी मित्रता बहुत गहरी हो गई है. अब हमें कुछ ऐसा करना चाहिए, जिससे एक दूसरे की याद आते हीं हमें एहसास हो जाए.

चूहे ने हामी भरते हुए कहा, हाँ क्यों नहीं मगर हम ऐसा करेंगे क्या? दुष्ट मेंढक ने बोला, एक रस्सी से तुम्हारी पूँछ और मेरा एक बार पैर बाँध दिया जाए. हमें जब भी एक दूसरे की याद आएगी तो हम इस रस्सी को खींचकर पता लगा लेंगे।

चूहे को मेंढक के इस छल का जरा भी अंदाजा नहीं था. चूहा इसके लिए मान गया. मेंढक ने जल्दी से अपने एक पैर और चूहे की पूंछ को रस्सी से बाँध दिया। इसके बाद मेंढक ने पानी में छलांग लगा दी.

मेंढक खुश था, क्योंकि उसकी योजना सफल हो गई. वहीं चूहे की पानी में हालत खराब हो गई क्योंकि वो तैर नहीं सकता था. अंततः कुछ देर छटपटाने के बाद चूहा मर गया.

एक बाज आसमान में उड़ते हुए यह सब देख रहा था. उसने जैसे हीं पानी में चूहे को देखा तो वो तुरंत उसे मुंह में दबाकर उड़ गया. मेंढक का भी पैर चूहे की पूँछ से बंधा हुआ था, इसलिए वो भी बाज के चंगुल में आ गया.

मेंढक तो पहले कुछ समझ ही नहीं आया कि क्या हुआ? वो सोच में पड़ गया कि आखिर वो आसमान में उड़ कैसे रहा है? जैसे हीं उसने ऊपर देखा तो बाज को देखकर वो डर गया. वो बाज से अपनी जान की भीख मांगने लगा मगर चूहे के साथ-साथ बाज उसे भी खा गया.

कहानी से सीख–

दोस्तों इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि जो जैसा करता है, वो वैसा हीं भरता है.


10)- बहरे मेंढक की कहानी

बहुत समय पहले की बात है एक सरोवर में बहुत सारे मेंढक रहते थे. सरोबर के बीचों-बीच एक बहुत पुराना धातु का खम्भा खड़ा था, एक दिन मेढ़कों के दिमाग में आया कि क्यों ना एक रेस करवाई जाए, रेस में भाग लेने वाले प्रतियोगियों को खम्भे पर चढ़ना होगा।
रेस वाले दिन असा-पास के इलाकों से भी मेढ़क इस रेस में हिस्सा लेने पहुंचे और माहौल में सरगर्मी थी हर तरफ शोर ही शोर था.

रेस शुरू हुई और हर तरफ यही सुनाई देता “अरे ये बहुत कठिन है” सफलता का तो कोई सवाल ही नहीं इतने चिकने खम्भे पर चढ़ा ही नहीं जा सकता। और यही हो भी रहा था, जो मेढ़क कोशिश करता वो थोड़ा ऊपर जाकर निचे गिर जाता।

कई मेढ़क दो-तीन बार गिरने के बावजूद प्रयास में लगे रहे पर भीड़ तो अभी भी चिल्लाये जा रही थी, “ये नहीं हो सकता, असंभव” और वो उत्साहित मेढ़क भी ये सुन-सुनकर हताश हो गए पर प्रयास करना छोड़ दिया।

लेकिन उन्ही मेढ़कों के बिच एक छोटा सा मेढ़क बार -बार गिरने पर भी उसी जोश के साथ खम्भे के ऊपर चढ़ने में लगा हुआ था, वो लगातार ऊपर की और बढ़ता रहा और अंततः वह खम्भे के ऊपर पहुंच गया.

उसकी जीत पर सभी को बड़ा आश्चर्य हुआ, सभी मेढ़क उसे पूछने लगे “तुमने ये असंभव काम कैसे कर दिखाया” तभी पीछे से एक आवाज आई..”अये उससे क्या पूछते हो, वो तो बहरा है”

कहानी से सीख–

हमें दूसरों पर आँख बंद करके भरोसा नहीं करना चाहिए।


कहानियां दो प्रकार की होती है. एक वास्तविक कहानियां “Real Life Inspirational Stories of Success” और एक काल्पनिक कहानियां “Short Moral Stories in Hindi”.

Short Story कितने लाइन की होती है? | Short Story in Hindi with Moral

एक Short Story 10 से 12 लाइन की होती है और उसमें एक भावार्थ होना चाहिए।

एक अच्छी कहानी में शीर्षक, प्रस्तावना या introduction, मुख्य कंटेट और निष्कर्ष होना चाहिए, साथ ही कहानी engaging होनी चाहिए।

हर कहानी कुछ ना कुछ सीख जरुर देती है, जैसे कि “Hindi Moral Stories” में होती है.

कहानियाँ ज्ञानवर्धक और रोचक होती है और यह हमे ऐसे टाइम में सुनाई जाती है ताकि हमारा ज्यादा से ज्यादा विकास हो। ये हमें नई-नई सीख देती है जो जिन्दगी भर काम आ सकती है।


कुछ हटकर पढ़े-